शादी के बाद पार्टनर किसी बीमारी या किसी और वजह से इस दुनिया को अलविदा कह देता है। ऐसे में जब किसी महिला के पति का देहांत हो जाता है तो उसे दुख और निराशा का अनुभव होता है। और आज भी हमारा समाज विधवाओं को उस रूप में नहीं देखता है जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। ऐसे में इस समाज की जिम्मेदारी बनती है कि विधवाओं को भी बाकी लोगों की तरह दर्जा मिले। ऐसे में इन महिलाओं को सम्मानित करने के लिए हर साल 23 जून को अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है।
दरअसल, सभी उम्र, क्षेत्रों और संस्कृतियों की विधवाओं की स्थिति को विशेष मान्यता देने के लिए 23 जून 2010 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस घोषित किया था और तब से यह दिन 23 जून को मनाया जाता है। हर साल जून। .
अगर भारत की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में 4 करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं हैं। ऐसे में इन महिलाओं को मदद, समानता आदि की जरूरत है। आज भी विधवा महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि विधवा महिलाएं भी हमारे अपने समाज और देश का हिस्सा हैं। इसलिए सभी को उनका सम्मान करना चाहिए।
विधवाओं की आवाज पर ध्यान दिलाने और उनकी समस्याओं को उजागर करने के लिए 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है।
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